Beti Ka Badla - 1 in Hindi Fiction Stories by S Sinha books and stories PDF | बेटी का बदला - 1

The Author
Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

Categories
Share

बेटी का बदला - 1


Part 1

कहानी - बेटी का बदला


“ क्या बात है , मैं कुछ दिनों से देख रही हूँ कि आजकल मुझ से कटे कटे रहते हैं ? मुझसे नाराज़ हैं क्या ? “ सीमा ने करवट बदलते हुए अपने पति सुरेश से कहा जो दूसरी ओर मुँह घुमा कर सोया था .


“ऐसा कुछ भी नहीं है , बस बिजनेस इतना ज्यादा बढ़ा रखा है कि दिन भर की भागदौड़ और माथापच्ची से थक जाता हूँ . और कुछ नहीं सो जाओ . “ सुरेश ने भी करवट बदलते हुए कहा


“ जहाँ तक मैं जानती हूँ पिछले छः महीनों से आपने कोई नया धंधा शुरू नहीं किया है . इसके पहले तो आप इस उम्र में भी बड़े रंगीन और आशिक़ मिजाज के थे . अचानक इधर कुछ महीनों से देख रही हूँ आप मुझसे दूरी बनाये रहते हैं . मुझ से कोई गलती हुई है क्या ? “


“ अरे नहीं नहीं , तुमसे कोई भी गलती नहीं हुई है . अब उम्र का भी कुछ तकाज़ा है . “ गलती तो मुझसे हुई है सुरेश ने मन में कहा


“ अभी इतनी ज्यादा उम्र भी नहीं हुई है हमारी . तबीयत ठीक है न ? न हो तो डॉक्टर से एक बार मिल लीजिये . “


“ मैंने कहा न , ऐसा कुछ नहीं है . तुम बेकार खुद परेशान हो रही हो और मुझे भी तंग कर रही हो . “


सुरेश के पिता सेठ नरेश शहर के नामी बिजनेसमैन थे . वे एक मशहूर NGO के संस्थापक और अध्यक्ष भी थे . नरेश एक दयालु सज्जन थे , शहर में उनकी काफी इज्जत थी . शहर से कुछ दूर एक कस्बे में भी उनकी एक दुकान थी जहाँ सुरेश बैठा करता था .60 वर्ष की उम्र में नरेश को पक्षाघात हुआ और उन्होंने बिस्तर पकड़ ली . फिर करीब एक साल बाद उनका देहांत हो गया . पिता की मौत के बाद सुरेश ही उनका एकमात्र उत्तराधिकारी था . उसकी एक मात्र संतान एक बेटी गीता थी जिसकी शादी कर अब वह निश्चिन्त था . सुरेश ने भी बिजनेस को अच्छे से संभाला था और उसे आगे भी बढ़ाया . देखने सुनने में बहुत सुखी परिवार था पर विगत कुछ दिनों से सुरेश का मन बहुत दुखी रहा करता . वह एक ऐसी आंतरिक पीड़ा से गुजर रहा था जिसे अपने परिवार से शेयर नहीं कर सकता था .

बिजनेस के सिलसिले में सुरेश पूरे देश में घूमा करता था . वह रंगीन मिजाज का आदमी था , वह जिस शहर में जाता वहां अपने और अपने ग्राहकों के मनोरंजन का पूरा इंतजाम करता . लड़कियां उसकी कमजोरी थीं . कुछ माह पूर्व वह मुंबई गया था तो वहां से लौटने के बाद वह बदला बदला दिखने लगा . उसे शक था कि पिछली बार वाली कॉल गर्ल ने उसे जरूर धोखा दिया है हालांकि उस कॉल गर्ल ने अपना मेडिकल सर्टिफिकेट भी दिखाया था .


अपनी शंका दूर करने के लिए कुछ दिन बाद सुरेश एक डॉक्टर से मिलने गया . डॉक्टर ने उसका टेस्ट कर बताया “ आपका शक निराधार नहीं है . मुझे अफ़सोस है पर सच आपको बताना जरूरी भी है . आपको HIV रोग है . “


“ तो अब मैं क्या करूँ ? “ अपना सर पीटता हुआ सेठ बोला


“ देखिये इसका कोई इलाज तो नहीं है . समय समय पर दवा लेते रहिये स्थिति कंट्रोल में रहेगी . वैसे भी यह छूआछूत का रोग नहीं है पर आपको पत्नी से दैहिक सम्पर्क के समय सावधान रहना होगा . “


“ मैंने फैमिली प्लानिंग ऑपरेशन करा लिया है , ऐसे में मैं अगर कंडोम इस्तेमाल करूँ तो पत्नी को शक होगा . “


“ यह तो आपको करना होगा नहीं तो आप अपना रोग पत्नी को भी . . . . “


“ नहीं मैं वैसा नहीं होने दूंगा . पर आप इसे राज़ ही रहने दें प्लीज , मेरे परिवार में किसी को यह बात पता न लगे . “

उस दिन से सुरेश अपनी पत्नी से दूरी बनाये हुए रहता . सीमा इस बेरुखी का कारण चाह कर भी न जान सकी हालांकि रह रह कर उसके मन में इसे ले कर सवाल और शंका पैदा होती थी . सीमा जब कभी पति से इसका कारण जानना चाहती वह टाल देता या कभी झुंझला कर बोलता “ मैंने कहा न , कोई ख़ास बात नहीं है . बिजनेस को ले कर चिंता है . भगवान् ने सिर्फ एक ही संतान दी , एक बेटी . बेटा होता तो बिजनेस में कुछ मदद भी करता और मैं सब कुछ उसके हवाले कर निश्चिन्त हो जाता . “


“ आपके कस्बे वाली दुकान की देखभाल हमारा दामाद कर ही रहा है . वसीयत में बाकी बिजनेस भी बेटी के नाम कर ही दिया है . हमारे बाद हमारी बेटी और दामाद मिल कर बिजनेस संभालेंगे .इसे ले कर आप चिंतित न रहें . “


इसी तरह करीब दो साल बीत गए . सुरेश काफी बीमार रहने लगा . उसे निमोनिया हुआ था . डॉक्टर के अनुसार यह एक खतरनाक किस्म का निमोनिया था जिस पर किसी भी दवा का असर नहीं हो रहा था . सुरेश अस्पताल में भर्ती था . उसके डॉक्टर ने उसे कह रखा था “ सेठ आपको HIV होने के कारण आपकी इमिन्यूटी बहुत कमजोर हो गयी है और किसी दवा का वांछित असर नहीं हो रहा है . हमलोग से जितना बन पड़ा हमने किया . अब आपको झूठी दिलासा दिलाना बेकार है . बेहतर है आप अपनी पत्नी और निकट संबंधियों को सूचित कर दें और बाकी समय घर पर ही गुजारे , मैं शाम तक आपको डिस्चार्ज कर दूंगा और आपके घर आ कर आपके लिए अलग कमरा सेट अप करवा दूंगा और नर्स की व्यवस्था भी . “


डॉक्टर की बात सुन कर सुरेश रोने लगा . सीमा उस समय कमरे में नहीं थी . जब वह कमरे में आयी तो पति को रोते देख कर उसका हाथ पकड़ कर वह भी रोने लगी . कुछ देर बाद शांत हुई तब पति से बोली “ अभी मैंने डॉक्टर को कमरे से जाते हुए देखा . उन्होंने क्या कहा आपकी बीमारी के बारे में ? क्या आपके रोने की वजह बीमारी के बारे में डॉक्टर का कुछ कहना है ? मुझे आप साफ़ साफ़ बताएं . “


सुरेश बहुत देर तक खामोश रहा और उसकी आँखें छलछला उठी थीं . यह देख कर सीमा बोली “ आप कुछ बोलते क्यों नहीं हैं ? मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही है .”


सुरेश फिर भी कुछ बोल पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था . सीमा गुस्से से अपनी कुर्सी से उठी और उसने कहा “ अब मैं और नहीं बर्दाश्त कर सकती हूँ , मैं अपना सर आपके पलंग पर पटक पटक कर फोड़ दूंगी . “ इतना बोल कर वह पलंग पर अपना सर पटकने ही जा रही थी कि सुरेश बोला - नहीं नहीं सीमा ऐसा न करना और वह फूट फूट कर बच्चे की तरह रोने लगा था . यह देख कर सीमा रुक गयी .


क्रमशः